माँ कूष्मांडा देवी नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं। इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग-शोक दूर होते हैं और वे दीर्घायु, धन-धान्य और सुख-समृद्धि से भरपूर जीवन जीते हैं।
माँ कूष्मांडा देवी की पूजा विधि
- प्रातःकाल उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से धोकर स्वच्छ करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां कूष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीप, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, आदि अर्पित करें।
- मां कूष्मांडा के मंत्र का 108 बार जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
माँ कूष्मांडा देवी का मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
इस मंत्र का अर्थ है:—– हे देवी कूष्मांडा, मैं आपको नमन करता हूँ।
माँ कूष्मांडा देवी को चढ़ाने योग्य सामग्री
- सफेद कुम्हड़ा
- मालपुए
- गुड़
- हल्दी
- लाल फूल
- अक्षत
- दीप
- धूप
माँ कूष्मांडा देवी की आरती
जय कूष्मांडा देवी, जय जय कूष्मांडा सर्व रोगों को दूर करो, जय जय कूष्मांडा
सूर्य को स्तनपान कराती, ज्योतिर्मय स्वरूप महागणपति, ब्रह्मा विष्णु, शिव हैं सदा दर्शक
तुम ही हो माता त्रिशूल धारी, तुम ही हो माता जगदम्बा तुम ही हो माता आदि शक्ति, तुम्हें हम सब वंदन करते हैं
जय कूष्मांडा देवी, जय जय कूष्मांडा सर्व रोगों को दूर करो, जय जय कूष्मांडा
अर्थ
हे माँ कूष्मांडा, आपको नमस्कार है। आप सभी रोगों को दूर करने वाली हैं। आपका स्वरूप ज्योतिर्मय है। महागणपति, ब्रह्मा, विष्णु और शिव आपकी हमेशा रक्षा करते हैं। आप त्रिशूलधारी हैं और आप ही जगदम्बा हैं। आप ही आदि शक्ति हैं। हम सभी आपको वंदन करते हैं।
माँ कूष्मांडा देवी की कथा
एक समय की बात है, जब संसार में अंधकार था और कोई सृष्टि नहीं थी। तब भगवान विष्णु ने अपने नाभि कमल से एक तेजस्वी ज्योति उत्पन्न की। उस ज्योति से एक देवी प्रकट हुईं, जिनका नाम कूष्मांडा था। देवी कूष्मांडा ने अपने हाथों से एक कुम्हड़ा बनाया और उसमें से ब्रह्मांड की रचना की।
देवी कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति कहा जाता है। वे सभी देवताओं की अधिष्ठात्री हैं। देवी कूष्मांडा को प्रसन्न करने से सभी रोग-शोक दूर होते हैं और भक्तों को दीर्घायु, धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
माँ कूष्मांडा देवी की महिमा
माँ कूष्मांडा की महिमा अपरंपार है। वे सभी देवताओं की अधिष्ठात्री हैं। देवी कूष्मांडा को प्रसन्न करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- सभी रोग-शोक दूर होते हैं।
- दीर्घायु, धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- बुद्धि, विद्या और विवेक का विकास होता है।
- सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख और शांति का वास होता है।
माँ कूष्मांडा देवी नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग-शोक दूर होते हैं और वे दीर्घायु, धन-धान्य और सुख-समृद्धि से भरपूर जीवन जीते हैं।