माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि एवं मंत्र समेत सभी जानकारी

नवरात्रि के दूसरे दिन, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को विद्या, ज्ञान, तप और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से मनुष्य में इन सभी गुणों का विकास होता है।

पूजा का समय

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का सबसे अच्छा समय सुबह 4:30 से 6:00 बजे के बीच है। इस समय ब्रह्म मुहूर्त होता है, जो पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

पूजा की सामग्री

एक चौकी या पीली चुनरी
एक कलश
गंगाजल
कुमकुम
हल्दी
रोली
चावल
चंदन
फूल
धूप
दीप
अगरबत्ती

माँ ब्रह्मचारिणी का प्रसाद

माँ ब्रह्मचारिणी को मिठाई और फल का भोग लगाना चाहिए। मिठाई नहीं तो चीनी भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वह भक्त को लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं।

पूजा की विधि

  1. सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और उस पर एक चौकी या पीली चुनरी बिछाएं।
  2. चौकी के बीच में कलश रखें और उसमें गंगाजल भरें।
  3. कलश के चारों ओर चावल और फूल रखें।
  4. कलश के ऊपर कुमकुम, हल्दी, रोली और चंदन से स्वास्तिक बनाएं।
  5. कलश के ऊपर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
  6. देवी की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
  7. देवी को फूल, धूप, दीप और अगरबत्ती अर्पित करें।
  8. देवी को कुमकुम, हल्दी, रोली और चंदन से तिलक लगाएं।
  9. देवी को मंत्रों का जाप करते हुए आरती करें।
  10. देवी को प्रसाद अर्पित करें।
  11. प्रसाद को प्रसादी के रूप में बांट दें।

माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान मंत्र

चन्द्रांशु कोटि भास्वरं, शशि निभांशु भास्करीम्।
जपमाला कमण्डलु धरा, ब्रह्मचारिणी शिखामणिम्॥

रक्त वस्त्रं धारिणी, परम वंदना परा।
शंकरप्रिया भगवती, ब्रह्मचारिणी प्रिया॥

माँ ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्म रूप में आप अविनाशी,
महा शक्ति, दुर्गा भवानी।

सृष्टि रचना में आप ही विधाता,
रक्षी भी आप ही दुःख हारी।

आज के दिन आपका पूजन करें,
सकल मनोरथ पूर्ण करें।

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता,
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत ज्योतिर्मय है। वह एक अविवाहित कन्या के रूप में हैं। उनके एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। वह सफेद वस्त्र पहने हुए हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या की थी। वे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर्वत पर तपस्या करने गई थीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था।

माँ ब्रह्मचारिणी को विद्या, ज्ञान, तप और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से मनुष्य में इन सभी गुणों का विकास होता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की महिमा

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य में ज्ञान, विद्या, तप और वैराग्य का विकास होता है। वह भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाती है

माँ ब्रह्मचारिणी की हार्दिक शुभकामनाएं

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